सभी लोग रोजमर्रा की ज़िन्दगी में सुख शांति और समृद्धि को तलाश में रहते है | इसके लिए हम पूरा दिन कोशिश करते रहते है | इसके लिए हम किसी चीज की फ़िक्र नहीं करते है |
सभी लोग जीवन पर नियंत्रण रखने के लिए आमतौर पर भगवान का सहारा लेते है | इस हेतु हम मंदिर, मस्जिद आदि जाते है | यदि कोई व्यक्ति मंदिर जाने में असमर्थ होता है तो वह घर में ही पूजा करता है और मंत्र आदि जपता है | लगभग सभी लोग गायत्री मंत्र के बारे में जानते है और जाप भी करते है | लेकिन आज हम आपको इससे होने वाले प्रभावों के बारे में बता रहे है | इसके साथ ये भी बता देना चाहते है की इसके निरंतर जाप से आपको कौन-कौन से लाभ हो सकते है |
हम आपको बता दे की गायत्री मंत्र ऋग्वेद से लिया गया है | इससे उद्भवित करने का श्रय ब्रह्मऋषि विश्वामित्र को जाता है | हम आपको याद दिला दे की ये वही विश्वामित्र जी है जिनका जिक्र महर्षि वाल्मीकि ने रामायण में किया गया है | ये मंत्र सवित्र देव को समर्पित है | जब महर्षि कृष्णदेवोपायन वेद व्यास जी ने वेदो का संकलन किया था तब उस समय इसको ऋग्वेद में रखा था |
इस मंत्र का उपयोग यदि आप निरंतर करते है तो आपको काफी लाभ मिलता है | इसका जप सुबह और शाम को कर सकते है | इसे सूर्यौदय से दो घंटे पूर्व और सूर्य उदय से एक घंटे बाद तक जप कर सकते है | इसका जप रात्रि में नहीं करना चाहिए | ये मंत्र बुराई पर सदैव जीत दिलाता है | इसके प्रयोग करने से भूत-प्रेत आदि पास नहीं आते है | इससे व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ता है साथ ही दुःखों से छूटने का रास्ता मिलता है।
इस मंत्र का अर्थ है की प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा अर्थात भगवान को हम अपने हृदय में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सत्मार्ग में प्रेरित करे। इस मंत्र के बारे में स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि गायत्री मंत्र सद्बुद्धि का मंत्र है | ये हमें जीवन में लक्ष्य से भटकने नहीं देता है | इसलिए इसे मंत्रो का मुकुटमणि या मंत्रो का सिरमौर भी कहते है | नियमित गायत्री मंत्र का जप करने से बुद्धि तेज और यादाश्त ( याद रखने की क्षमता )बढ़ जाती है। यह व्यक्ति की बुद्धि और विवेक को बढ़ाने के साथ-साथ उसे तीव्र भी बनाता है |
इसका प्रयोग रात्रि में नहीं करना चाहिए नहीं तो इसके काफी दुष्परिणाम हो सकते है | इस मंत्र में शब्दों का उच्चारण ठीक प्रकार से करना चाहिए | इसमें चौबीस शब्द है जो चौबीस सिद्धियों के प्रतिक है |